google-site-verification=rm70XEMbxZyoRS7xtCfISNAPDIK_x3QyPbKOZd13PUc ये दिये भी कमाल के है दिवाली कविता ~ shayarvats

ये दिये भी कमाल के है दिवाली कविता

दिवाली कविता

 ये दिये भी कमाल के है 


ये दिये भी कमाल के है 

इधर के नहीं उधर के नही

जाने ये किधर के है

इनका कोई मकां नहीं 

पर जिस मकां को गये मकां कर गये

पूरा घर रौशनी से भर गये

ये दिये भी कमाल के है ||


जब जब प्रभु श्री राम के कदम पड़े

दीयोे की भीड़ उमड़ पड़े

जशन बन जाते किसी की जिंदगी का 

इक उजाला दिया किसी की दिवाली का

रूखी गलियों में सावन की हरियाली का

शाम ढ़ले दिया सबकी खुशहाली का

इक हौसले के चराग ने कतारे लगा दिए

रौशनी के सैलाब ला दिए 

ये दिये भी कमाल के है ||


सौंधी सी खुुश्बू वाली मिट्टी की दिये

रिश्तों को सदियों से महकाते रहे

मिलो की दूरियां, पास लाते रहे

दूर महल वालो को 

बचपन के घरौंदे दिखाते रहे

अम्मा बापू को उनके आँख के

तारे दिखाते रहे 

आफ़्ताब हैं महताब हैं 

पर अमावस के आगे 

तो बस दियो ने सर उठाये हैं 

ये दिये भी कमाल के है ||


क्या अलामत है इनके भी... 

ज्वालो में तपते रहे 

दाग चेहरे पर लगते रहे 

आगोश में उनके अधेरा पलते रहे

पर औरों के जहां रौशन कर गए 

रास्ता उन्हें सदा दिखाते रहे 

ये दिये भी कमाल के है ||

रवि कुमार 

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