🔥क्रांति है ये क्रांति, विचार क्रांति🔥 बरसो-बरस जो प्रदीप्त हुआ करती थी अखण्ड, अविचल और उदात्त हुआ करती थी कालंतर की बेला फिर आयी धुर्त लो...
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