# वर्तमान परिपेक्ष पर मेरी व्यंग्यात्मक कविता #
एक दिन मे जावत रेहेव गली-गली
देखेव एक आदमी ल, आंखी टरेरत अउ फफखत रिहिस तरी-तरी
ऐति 2-4 झन डोकरी मन आवाज म थोरकिन
बाय टाटा, बाय टाटा काहत रिहिन
मे थोरकिन रुकेव
चुटई ल धरके सोचेव
ये माजरा काये साले ह...
त फेर दिमाग मे खट ले अइस
ओमन ओ बुजबुजहा के Baycott करत रिहिन।।
ऐसो तो अइसे लगथे
कोरोना के जाला साफ करत करत
घर के सब्बो कचरा साफ हो जही
नवा घर कस छन छन ले हो जही ।।
अउ ये चीन, कोरोना के ददा साले...
मे बताथो
ऐकर तो स्थिति ऐसे होही, जइसे पिचकोल्हा पाताल
काएं काएं करत बइठही, परही जब चारो मुड़ा ले लात
ऐला तो अइसे धरबो जइसे घुन्हा किरा के मेछा
छोड़ दिहि भोरला ल, बखरी म घलो नइ करही छेका।।
अउ ये टुरी एकता कपूर, सीरियल किलर...
इनको तो अकेले बिहारी काका ने निपटा दिया
इनके माथे में जो कालिख थी, सबको दिखा दिया
अब तो बाकि ल, ये दाई दीदी मन बताही
येकर 'कुकरी लड़ई' ल देखना हे कि नाही।।
अउ ऐकरेच मोहल्ला के, एकझन राजपुत भाउ चलदिस
जावत-जावत ओहा, ऐकर मन के टेपरा मे गोटी मारदिस
यहु मन अल्करहा नरवा के मेचका कस झनझनागे
करसतानी सब्बो के, कोरिया देवता कस खसखस ले आगे।।
इस बरस तो नये-नये कारनामें बाहर आ रहे है
सुप्त भारत फिर से अंगड़ाई ले रहा है...
मोर संगवारी काहत रिहिस
अरे मे तो ऐसो कुकुर के पुछी ल सीधा कर देव
मे केहेव अबे 'करण जोहर' कस टेटका मुड़ी के
तोर बात ल कोन सीरियस लेथे रे
बने आम अउ बने काम लंगूर ल थोड़ी दिखथे रे।।
ये तो हुआ मेरे लंगोटिया यार की बात... ।
अउ महु क कोनो ले कम हो
एक झन मार अटियावत राहय
आने ताने रेंगत राहय
हाथ गोड़ ल ओकर खपट देव
अउ चुमचुम ले धरके बइठार देव
उही ह खेत के मेड़ पार मन ल
अउ ये एकठन नानकुन टेपरी,
अब्बढ़ मटमटावत राहय
ओला अइसे जोरदार परिस ते मड़ी-पुछी सीधाच होगे
सियान मन काहत रिहिस चुकचुक ले अब दिखथे।
समझत हव न
ये जम्मो मन मे अइन रापा कुदारी चलही,
तभे हमर भारत देश बढ़ सुंदर चुकचुक ले दिखही।
जय हिंद, जय माँ भारती 🙏
# Boycott china
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#sushant sinh rajput
4 टिप्पणियाँ
Click here for टिप्पणियाँBahut khub
ReplyNice sir
Replythanks ji
Replyधन्यवाद 🙏
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