# मेरा अहसास #
कट चुके है पेड़, बाशिंदों का बसेरा कहाँ हैं
देखा रौशनदान, नन्ही सी जान रहता यहाँ है
सुबह से चीं-चीं करना
फुर्र.... से पंखे पे लटकना
टुक-टुक करके नल टक-टकाना
पुचक-पुचक के अठखेलियाँ करना
फिर शुकू का जुहूम,
मेरे होठों से दिल पे उतरना ।।
वकई अपनों सा सुकून देता है !
✍️ रवि कुमार साहू

2 टिप्पणियाँ
Click here for टिप्पणियाँNice dear
Replyधन्यवाद जी 🙏
ReplyConversionConversion EmoticonEmoticon